यूँ ही रंजिशों में गुज़रते रहे वो पल
कभी तू खफा तो कभी में
चाहतों के मोड़ भी आते जाते रहे
न कभी तू रुका न कभी में
बस आग ही आग जल्ति रही दिलों में
न कभी तू बुझा न कभी में
न जाने वो कैसा मंज़र था आज़माइशों का
न कभी तू झुका न कभी में
अपनी अपनी ज़िद्द पे अड़े रहे मगर
न हुआ तू जुदा न कभी में
Written By :- J N Mayyaat
कभी तू खफा तो कभी में
चाहतों के मोड़ भी आते जाते रहे
न कभी तू रुका न कभी में
बस आग ही आग जल्ति रही दिलों में
न कभी तू बुझा न कभी में
न जाने वो कैसा मंज़र था आज़माइशों का
न कभी तू झुका न कभी में
अपनी अपनी ज़िद्द पे अड़े रहे मगर
न हुआ तू जुदा न कभी में
Written By :- J N Mayyaat