आज फिर तनहा में बैठा , तुम साथ मेरे चल न पाओगे
मे हु मजनू तेरा अंदाज़ हे ज़माने वाला ,तुम साथ मेरे चल न पाओगे
ये माना तुम्हे भी इश्क़ हे हमसे मगर वादे मोम बत्तियों जैसे
ज़माने की आग में पघलने वाले मेरे दिल को भी यूँही जलाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे
रेहबर खुदको बुलाने वाले नयी राहों की तलाश में क्योँ हे
पल भर में मेरी देहलीज़ भुलाने वाले मौत तक साथ क्या निभाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे
हवाओं को भी अपना बना लिया तुमने रेशमी ज़ुल्फ़ों की आड़ में
साँसों तक का मोहताज़ बनादिया तुमने और क्या सितम ढाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे , तुम साथ मेरे चल न पाओगे ......
Written By :- J N Mayyaat
मे हु मजनू तेरा अंदाज़ हे ज़माने वाला ,तुम साथ मेरे चल न पाओगे
ये माना तुम्हे भी इश्क़ हे हमसे मगर वादे मोम बत्तियों जैसे
ज़माने की आग में पघलने वाले मेरे दिल को भी यूँही जलाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे
रेहबर खुदको बुलाने वाले नयी राहों की तलाश में क्योँ हे
पल भर में मेरी देहलीज़ भुलाने वाले मौत तक साथ क्या निभाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे
हवाओं को भी अपना बना लिया तुमने रेशमी ज़ुल्फ़ों की आड़ में
साँसों तक का मोहताज़ बनादिया तुमने और क्या सितम ढाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे , तुम साथ मेरे चल न पाओगे ......
Written By :- J N Mayyaat