इक मुद्दत से तेरी याद न आए और तुझे भूल जाऊं में ऎसा भी नहीं
दिल को मेरे चिर के देख कोई और बसा मिलजाए में ऎसा भी नहीं
तुझे बर्बाद करने वाला कोई और नहीं तू खुद ही हे यकीन कर
मगर हो तेरी आँखें नम और मेरे अश्क़ सूख जाए में ऎसा भी नहीं
माना की सख्त मिजाज़ हु में लेकिन पत्थर से कम तू भी नहीं
खामोश बन देखूँ तमाशा तू मेरे इश्क़ को आजमाए में ऎसा भी नहीं
रुठने का हक़ हे तुझे भी मगर कभी गलती तो करने दे मुझे
तेरी नादानियों को अपनाउं तू मेरी रूह को रुलाए में ऎसा भी नहीं
में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं
Written By :-J N Mayyaat
दिल को मेरे चिर के देख कोई और बसा मिलजाए में ऎसा भी नहीं
तुझे बर्बाद करने वाला कोई और नहीं तू खुद ही हे यकीन कर
मगर हो तेरी आँखें नम और मेरे अश्क़ सूख जाए में ऎसा भी नहीं
माना की सख्त मिजाज़ हु में लेकिन पत्थर से कम तू भी नहीं
खामोश बन देखूँ तमाशा तू मेरे इश्क़ को आजमाए में ऎसा भी नहीं
रुठने का हक़ हे तुझे भी मगर कभी गलती तो करने दे मुझे
तेरी नादानियों को अपनाउं तू मेरी रूह को रुलाए में ऎसा भी नहीं
में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं
Written By :-J N Mayyaat