आज अंधेरों मे मुझे कहीं ख़ोजाने दे
सुकूं हे इन रेतों में,मुझे यहीं सोजाने दे
मुम्किन नहीं सनम इस भीड़ में जीना
मुझे अब तन्हाईओं का ही होजाने दे
न राहत हे, न जीने की चाहत हे मुझे
मुझे तू गुज़रा हुआ पल ही होजाने दे
मंज़िल है न ठिकाना तेरी मोहोब्बत में
वफ़ा की तलाश में ही कहीं खोजाने दे,
आज अंधेरों मे मुझे कहीं ख़ोजाने दे
सुकूं हे इन रेतों में मुझे यहीं सोजाने दे .....
Written By:- J N Mayyaat
सुकूं हे इन रेतों में,मुझे यहीं सोजाने दे
मुम्किन नहीं सनम इस भीड़ में जीना
मुझे अब तन्हाईओं का ही होजाने दे
न राहत हे, न जीने की चाहत हे मुझे
मुझे तू गुज़रा हुआ पल ही होजाने दे
मंज़िल है न ठिकाना तेरी मोहोब्बत में
वफ़ा की तलाश में ही कहीं खोजाने दे,
आज अंधेरों मे मुझे कहीं ख़ोजाने दे
सुकूं हे इन रेतों में मुझे यहीं सोजाने दे .....
Written By:- J N Mayyaat