अभी अभी सीखा हे चलना बादलों को छूना बाकी हे
मुट्ठी में करलिया रेत को पत्थरों को मसलना बाकी हे
गिला न कर ज़िन्दगी से तू शिकायत न हो साये से कभी
कल बीता हे ज़िन्दगी का यारों आज गुज़रना बाकी हे
कल फिर बनेगा मोड़ नया ढल गई हे शाम तो क्या
देख अँधेरे डर मत जाना सूरज निकलना बाकी हे
भुलाके अपनी बेबसियों को बनाले खुद राहें अपनी
खड़े हुए क़दमों पे अपने आगे निकलना बाकी हे
कब तक बहेंगे अश्क़ तेरे हौसलों पर भी करले यकीं
बोहोत हुआ इंतज़ार वक़्त का अब वक़्त बदलना बाकी हे
मुट्ठी में करलिया रेत को पत्थरों को मसलना बाकी हे
पत्थरों को मसलना बाकी हे
Written By :- J N Mayyaat
मुट्ठी में करलिया रेत को पत्थरों को मसलना बाकी हे
गिला न कर ज़िन्दगी से तू शिकायत न हो साये से कभी
कल बीता हे ज़िन्दगी का यारों आज गुज़रना बाकी हे
कल फिर बनेगा मोड़ नया ढल गई हे शाम तो क्या
देख अँधेरे डर मत जाना सूरज निकलना बाकी हे
भुलाके अपनी बेबसियों को बनाले खुद राहें अपनी
खड़े हुए क़दमों पे अपने आगे निकलना बाकी हे
कब तक बहेंगे अश्क़ तेरे हौसलों पर भी करले यकीं
बोहोत हुआ इंतज़ार वक़्त का अब वक़्त बदलना बाकी हे
मुट्ठी में करलिया रेत को पत्थरों को मसलना बाकी हे
पत्थरों को मसलना बाकी हे
Written By :- J N Mayyaat