इरादा मौत का था आज ज़िंदगानी चाहिए
आरज़ू कल आग की थी आज पानी चाहिए
ये कैसा इन्साफ है जागे कोई सोए कोई
रात सबकी हे तो सबको नींद आनी चाहिए
तोड़ दिया तुमने दिल मेरा अपने हाथों से
आज जोड़ने के लिये मेहेरबानी चाहिए ?
दिलबर से दोस्त बना देते हो एक पल मे
खैर दोस्ती ही सही तुझे निभानी आनी चाहिए
Written By
J N Mayyaat