तुमने देखा है कभी एक नज़र शाम के बाद
सुनसान सी लगती है हर डगर शाम के बाद
तू है सूरज तुम्हे मालूम कहा रात का दर्द
किसी रोज़ मेरे घर में उतर शाम के बाद
डरतें है मैखानों से रिश्ते मुकम्मल न होजाए
कहीं खुद को न पाएं दर बदर शाम के बाद
तुम्हे इल्म ही नहीं अब तक मेरे इंतज़ार का
छोड़ जाऊँगा किसी रोज़ नगर शाम के बाद
Written By :- J N Mayyaat
सुनसान सी लगती है हर डगर शाम के बाद
तू है सूरज तुम्हे मालूम कहा रात का दर्द
किसी रोज़ मेरे घर में उतर शाम के बाद
डरतें है मैखानों से रिश्ते मुकम्मल न होजाए
कहीं खुद को न पाएं दर बदर शाम के बाद
तुम्हे इल्म ही नहीं अब तक मेरे इंतज़ार का
छोड़ जाऊँगा किसी रोज़ नगर शाम के बाद
Written By :- J N Mayyaat