इरादा मौत का था आज ज़िंदगानी चाहिए
इरादा मौत का था आज ज़िंदगानी चाहिए
आरज़ू कल आग की थी आज पानी चाहिए
ये कैसा इन्साफ है जागे कोई सोए कोई
रात सबकी हे तो सबको नींद आनी चाहिए
तोड़ दिया तुमने दिल मेरा अपने हाथों से
आज जोड़ने के लिये मेहेरबानी चाहिए ?
दिलबर से दोस्त बना देते हो एक पल मे
खैर दोस्ती ही सही तुझे निभानी आनी चाहिए
Written By
J N Mayyaat
Zindagi Junoon Sultan Jannat Janjal
ज़िन्दगी जूनून जुस्तजू जन्नत जंजाल हे
कोई कहता कायनात तो कोई कमाल हे
कैसे करे यकीन के मोहोब्बत मौत से हो
खुदा से ऊपर भी कोई हो क्या मजाल हे
मिटगईं ज़िंदगियाँ दीदार ऐ जन्नत के लिए
क़त्ल होगई इंसानियत इसी बात का मलाल हे
बेवक़ूफ़ बातों में आजातें हैं, जिन्हे खबर ही नहीं
ज़िन्दगी के पल पल में खुदा का ही जमाल है
Written By :- J N Mayyaat
कोई कहता कायनात तो कोई कमाल हे
कैसे करे यकीन के मोहोब्बत मौत से हो
खुदा से ऊपर भी कोई हो क्या मजाल हे
मिटगईं ज़िंदगियाँ दीदार ऐ जन्नत के लिए
क़त्ल होगई इंसानियत इसी बात का मलाल हे
बेवक़ूफ़ बातों में आजातें हैं, जिन्हे खबर ही नहीं
ज़िन्दगी के पल पल में खुदा का ही जमाल है
Written By :- J N Mayyaat
Abhi Abhi Sikha He Chalana Baadalon Ko Chhoona Baaki He
अभी अभी सीखा हे चलना बादलों को छूना बाकी हे
मुट्ठी में करलिया रेत को पत्थरों को मसलना बाकी हे
गिला न कर ज़िन्दगी से तू शिकायत न हो साये से कभी
कल बीता हे ज़िन्दगी का यारों आज गुज़रना बाकी हे
कल फिर बनेगा मोड़ नया ढल गई हे शाम तो क्या
देख अँधेरे डर मत जाना सूरज निकलना बाकी हे
भुलाके अपनी बेबसियों को बनाले खुद राहें अपनी
खड़े हुए क़दमों पे अपने आगे निकलना बाकी हे
कब तक बहेंगे अश्क़ तेरे हौसलों पर भी करले यकीं
बोहोत हुआ इंतज़ार वक़्त का अब वक़्त बदलना बाकी हे
मुट्ठी में करलिया रेत को पत्थरों को मसलना बाकी हे
पत्थरों को मसलना बाकी हे
Written By :- J N Mayyaat
मुट्ठी में करलिया रेत को पत्थरों को मसलना बाकी हे
गिला न कर ज़िन्दगी से तू शिकायत न हो साये से कभी
कल बीता हे ज़िन्दगी का यारों आज गुज़रना बाकी हे
कल फिर बनेगा मोड़ नया ढल गई हे शाम तो क्या
देख अँधेरे डर मत जाना सूरज निकलना बाकी हे
भुलाके अपनी बेबसियों को बनाले खुद राहें अपनी
खड़े हुए क़दमों पे अपने आगे निकलना बाकी हे
कब तक बहेंगे अश्क़ तेरे हौसलों पर भी करले यकीं
बोहोत हुआ इंतज़ार वक़्त का अब वक़्त बदलना बाकी हे
मुट्ठी में करलिया रेत को पत्थरों को मसलना बाकी हे
पत्थरों को मसलना बाकी हे
Written By :- J N Mayyaat
Aaj Andheron Me Mujhe Kahin Khojaane De
आज अंधेरों मे मुझे कहीं ख़ोजाने दे
सुकूं हे इन रेतों में,मुझे यहीं सोजाने दे
मुम्किन नहीं सनम इस भीड़ में जीना
मुझे अब तन्हाईओं का ही होजाने दे
न राहत हे, न जीने की चाहत हे मुझे
मुझे तू गुज़रा हुआ पल ही होजाने दे
मंज़िल है न ठिकाना तेरी मोहोब्बत में
वफ़ा की तलाश में ही कहीं खोजाने दे,
आज अंधेरों मे मुझे कहीं ख़ोजाने दे
सुकूं हे इन रेतों में मुझे यहीं सोजाने दे .....
Written By:- J N Mayyaat
सुकूं हे इन रेतों में,मुझे यहीं सोजाने दे
मुम्किन नहीं सनम इस भीड़ में जीना
मुझे अब तन्हाईओं का ही होजाने दे
न राहत हे, न जीने की चाहत हे मुझे
मुझे तू गुज़रा हुआ पल ही होजाने दे
मंज़िल है न ठिकाना तेरी मोहोब्बत में
वफ़ा की तलाश में ही कहीं खोजाने दे,
आज अंधेरों मे मुझे कहीं ख़ोजाने दे
सुकूं हे इन रेतों में मुझे यहीं सोजाने दे .....
Written By:- J N Mayyaat
Ik Muddat Se Teri Yaad Na Aye Aur Tujhe Bhool Jaoon Mein Aisa Bhi Nahi
इक मुद्दत से तेरी याद न आए और तुझे भूल जाऊं में ऎसा भी नहीं
दिल को मेरे चिर के देख कोई और बसा मिलजाए में ऎसा भी नहीं
तुझे बर्बाद करने वाला कोई और नहीं तू खुद ही हे यकीन कर
मगर हो तेरी आँखें नम और मेरे अश्क़ सूख जाए में ऎसा भी नहीं
माना की सख्त मिजाज़ हु में लेकिन पत्थर से कम तू भी नहीं
खामोश बन देखूँ तमाशा तू मेरे इश्क़ को आजमाए में ऎसा भी नहीं
रुठने का हक़ हे तुझे भी मगर कभी गलती तो करने दे मुझे
तेरी नादानियों को अपनाउं तू मेरी रूह को रुलाए में ऎसा भी नहीं
में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं
Written By :-J N Mayyaat
दिल को मेरे चिर के देख कोई और बसा मिलजाए में ऎसा भी नहीं
तुझे बर्बाद करने वाला कोई और नहीं तू खुद ही हे यकीन कर
मगर हो तेरी आँखें नम और मेरे अश्क़ सूख जाए में ऎसा भी नहीं
माना की सख्त मिजाज़ हु में लेकिन पत्थर से कम तू भी नहीं
खामोश बन देखूँ तमाशा तू मेरे इश्क़ को आजमाए में ऎसा भी नहीं
रुठने का हक़ हे तुझे भी मगर कभी गलती तो करने दे मुझे
तेरी नादानियों को अपनाउं तू मेरी रूह को रुलाए में ऎसा भी नहीं
में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं
Written By :-J N Mayyaat
Aaj Phir Tanaha Mein Baitha Tum Saath Mere Chal Na Paoge
आज फिर तनहा में बैठा , तुम साथ मेरे चल न पाओगे
मे हु मजनू तेरा अंदाज़ हे ज़माने वाला ,तुम साथ मेरे चल न पाओगे
ये माना तुम्हे भी इश्क़ हे हमसे मगर वादे मोम बत्तियों जैसे
ज़माने की आग में पघलने वाले मेरे दिल को भी यूँही जलाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे
रेहबर खुदको बुलाने वाले नयी राहों की तलाश में क्योँ हे
पल भर में मेरी देहलीज़ भुलाने वाले मौत तक साथ क्या निभाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे
हवाओं को भी अपना बना लिया तुमने रेशमी ज़ुल्फ़ों की आड़ में
साँसों तक का मोहताज़ बनादिया तुमने और क्या सितम ढाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे , तुम साथ मेरे चल न पाओगे ......
Written By :- J N Mayyaat
मे हु मजनू तेरा अंदाज़ हे ज़माने वाला ,तुम साथ मेरे चल न पाओगे
ये माना तुम्हे भी इश्क़ हे हमसे मगर वादे मोम बत्तियों जैसे
ज़माने की आग में पघलने वाले मेरे दिल को भी यूँही जलाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे
रेहबर खुदको बुलाने वाले नयी राहों की तलाश में क्योँ हे
पल भर में मेरी देहलीज़ भुलाने वाले मौत तक साथ क्या निभाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे
हवाओं को भी अपना बना लिया तुमने रेशमी ज़ुल्फ़ों की आड़ में
साँसों तक का मोहताज़ बनादिया तुमने और क्या सितम ढाओगे
तुम साथ मेरे चल न पाओगे , तुम साथ मेरे चल न पाओगे ......
Written By :- J N Mayyaat